साल की सबसे बड़ी एक्शन फिल्म कही जा रही फिल्म ‘पठान’ की एडवांस बुकिंग चल रही है और इस रॉ एजेंट से पहले एक और रॉ एजेंट की कहानी ‘मिशन मजनू’ नेटफ्लिक्स पर पहुंच चुकी है।
फिल्म ‘मिशन मजनू’ उस दौर की कहानी है जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं और उन्होंने भारत को अपना दुश्मन मानने वाले पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया था।
अपने प्रधानमंत्री को हटाकर फौज के मुखिया जनरल जिया उल हक ने देश संभाला लिया। और, इधर भारत में इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं। नई नई बनी पार्टी की सरकार आई।
रॉ की स्थापना चीन और पाकिस्तान से इससे पहले हो चुके युद्ध में खुफिया जानकारियों की कमी को दूर करने के लिए की गई। आर एन काव इसके पहले निदेशक बने।
काव के नजरिये से ही ये फिल्म शुरू होती है। उनका किरदार फिल्म में परमीत सेठी ने निभाया है। काव ने ही एक ऐसे युवा को रॉ एजेंट के लिए प्रशिक्षित किया जिसके पिता पर देशद्रोही होने का आरोप का लगा था।
रॉ एजेंट तारिक उर्फ अमनदीप को पाकिस्तान में इस लिहाज से पहुंचाया गया है कि वह आसपास हो रही गतिविधियों की सूचनाएं भारत सरकार तक पहुंचाता रहे लेकिन पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में पता लगाने से पहले वह वहां क्या कर रहा था, ये बताने से फिल्म चूक जाती है।
असल मुद्दे पर आते आते फिल्म न सिर्फ काफी देर कर देती है बल्कि परवेज शेख, असीम अरोड़ा और सुमित बथेजा की टीम कहानी के किरदारों को ठीक से विकसित करने में भी चूक जाती है।
सिद्धार्थ बतौर अभिनेता बड़े परदे से अपनी धमक खो चुके हैं। करण जौहर ने उन्हें लांच किया। बाद में उनका करियर संभालने के लिए एक अच्छी फिल्म ‘शेरशाह’ भी बनाई
यहां फिल्म जरा भी कमजोर होगी तो दर्शक के पास तुरंत किसी और फिल्म या वेब सीरीज पर चले जाने का विकल्प है।
फिल्म के गानों में ऐसा कुछ नहीं है जो दर्शकों की भावनाओं को छू सके। मनोज मुंतशिर ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’ जैसा ही गाना रचने की कोशिश यहां भी की है लेकिन इस गाने का देशप्रेम इसके कमजोर संगीत के चलते उभऱ नहीं पाया है।