अगर कभी आप उत्तराखंड के गढ़वाल या कुमाऊं में घूमने गई हों, तो यहां के पारंपरिक भोजन जैसे कफली/काफली, फाणू, चेंसू आदि का स्वाद तो लिया ही होगा।
काफली पालक से बनाई जाती है। गढ़वाल में तो पहाड़ी पालक मिलता है, जिसका स्वाद अलग होता है। काफली उसी से बनाई जाती है। पोषक तत्वों से भरपूर पालक, हमारी आंखों, हड्डियो, खून की कमी को पूरा करता है।
पालक को, चाहे पहाड़ी हो या देशी, छांट लें और साफ कर लें। इसे ठंडे पानी में अच्छी तरह 4-5 बार धो लें। पानी में धोने के बाद इसे अलग रख दें, ताकि इसका सारा पानी निकल जाए।
– पैन में पानी डालें और उसे उबलने दें। जब पानी में एक उबाल आ जाए, तब उसमें पालक के पत्तों को डालें। इसमें 4-5 लहसुन की कली डालें और पालक को मशी होने के लिए ढककर 5 मिनट के लिए रख दें।
– एक दूसरे बाउल में आधा कप बेसन डालें और उसमें थोड़ा सा पानी डालकर मिक्स कर लें। ध्यान रखें बेसन न ज्यादा पतला हो और न ज्यादा गाढ़ा हो। – पालक जब ठंडा हो जाए, तो उसे एक ग्राइंडर में डालें। ऊपर से लहसुन की कलियां, आधा इंच अदरक, 2 हरी मिर्च डालें और पीस लें।
तेल डालें और गर्म होने दें। तेल गर्म होने पर कढ़ाही में कटा हुआ प्याज डालकर भून लें। प्याज को 10 मिनट तक भूनें। जब प्याज सुनहरा भूल हो जाए तो इसमें टमाटर डालकर और 10 मिनट तक पका लें। टमाटर पकने के बाद, इसमें लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और नमक डालकर मिक्स कर लें। फिर ढक्कन रखकर 15 मिनट तक धीमी आंच पर पका लें।
मसाला अच्छी तरह मिक्स हो जाए, तो बेसन का घोल इसमें डालें और इसे चलाती रहें। ध्यान रखें कि इसे छोड़ना नहीं है, वरना बेसन तले पर चिपक जाएगा। साथ ही बेसन में कोई लंप न बनें, यह भी ध्यान रखें। इसे 5-7 मिनट तक चलाएं और अपने मुताबिक पानी डालें।
अब आपने जो पालक पीसकर रखी है, उसे इस तैयार ग्रेवी में डालें और लगभग 10 मिनट तक ढककर पकाएं। फिर इसमें दो कप पानी डालें और तेज आंच पर 5 मिनट तक थड़कने दें। आंच धीमी कर लें और कुछ सेकेंड ढककर पकाएं।
आपकी पारंपरिक पहाड़ी काफली तैयार है। इसे भात (चावल) के साथ गर्मागरम परोसें।