गर्मियों के मौसम में उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में फलों की बहार आ जाती है। पेड़ मौसमी फलों से लदना शुरू हो जाते हैं। काफल भी उन्हीं मौसमी फलों में से एक है।
काफल उत्तराखंड के अलावा हिमाचल और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी होता है । इस फल का स्वाद मीठा व खट्टा और कसैले होता है । यह एक सदाबहार वृक्ष हैं |
काफल फल के पौधे को कही भी उगाया नहीं जा सकता हैं | यह स्वयं उगने वाला पौधा हैं | मार्च के महीने से काफल के पेड में फल आने शुरू हो जाते हैं और अप्रैल महीने की शुरुवात के बाद यह हरे-भरे फल लाल हो जाते हैं |
– जंगल में पाए जाने वाले काफल फल एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण मनुष्य के शरीर के लिए काफी फ्यादेमंद होता हैं एवम् फल अत्यधिक रस-युक्त औरपाचक होता हैं |
काफल खाने के फ्यादे !!
– काफल फल में कई तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। जैसे माइरिकेटिन, मैरिकिट्रिन और ग्लाइकोसाइड्स इसके अलावा इसकी पत्तियों में फ्लावेन –4′-हाइड्रोक्सी-3 पाया जाता है।
– इस फल को खाने से पेट से सम्बंधित कई बीमारियाँ दूर हो जाती हैं जैसे कि कब्ज हो या एसिडिटी |
– इस फल से लकवा रोग ठीक हो जाता है और फल के प्रयोग से आप नेल पॉलिश के अलावा मोमबत्तियां व साबुन आदि को बना सकते हो।
फल के ऊपर मोम के प्रकार के पदार्थ की परत होती है जो कि पारगम्य एवं भूरे व काले धब्बों से युक्त होती है |यह मोम अल्सर की बीमारी में प्रभावी होता है |
– इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आँख की बीमारी तथा सरदर्द में सूघने के रूप में प्रयोग में लाया जाता है |