उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में ऐतिहासिक विष्णु मंदिर जो है राष्ट्रीय धरोहर
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यह मंदिर पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट (gangolihat) विकासखंड कोटली भट्टीगांव में स्थित है।
केंद्र में भगवान विष्णु के मंदिर के चारों ओर सात अन्य लघु मंदिर निर्मित है।
आठ मंदिरों के समूह में यह मुख्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
गर्भगृह में विष्णु प्रतिमा के साथ बलराम की दुर्लभ प्रतिमा है।
यह उत्तराखंड का अकेला ऐसा मंदिर है जिसमें कृष्ण और बलराम की स्वतंत्र प्रतिमाएं हैं।
मुख्य मंदिरों में के अतिरिक्त अन्य मंदिरों में महिषासुरमर्दिनी, गंगा, यमुना, बारह, बलराम, आदि की प्रतिमाएं विद्यमान है।
पुरातत्व विभाग के अनुसार दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित इस मंदिर की स्थापना नौवीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने की थी।
हालांकि मंदिर परिसर की प्रतिमाएं 9वीं - 13वीं शती ई. के मध्य की हैं।
भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अब इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है।
इस मन्दिर की पूजा उच्च कुल के भट्ट ब्राह्मण करते थे। जिस कारण इस गाँव का नाम भट्टीगाँव पड़ा।
इस मन्दिर मे कुछ शिलालेख भी मिले थे। जिसे अभी पूर्ण रूप से कोई समझ नही पाया है।
किन्तु उस शिलालेख को अम्बादत्त पाण्डे जी पढ़ने के बाद ये सुनिश्चित किया की यह मन्दिर लगभग कत्यूरी शासन काल मे बना था।
मंदिर परिसर के निकटवर्ती ग्राम बनकोट से वर्ष 1989 में आठ ताम्र मानवाकृतियां प्राप्त होना भी इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण खोज है।
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