पहाड़ी इलाकों में होने वाले माल्टा और खटाई (पहाड़ी नींबू) का स्वाद हर उत्तराखंडी जानता है।माल्टा उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण फल है।
यह शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बढ़ाता है और विटामिन-सी की कमी को भी पूरा करता है।
माल्टा निमोनिया, ब्लड प्रेशर और आंत संबंधित समस्याओं के लिए भी रामबाण है। यह साइट्रस प्रजाति का फल है, जिसका वैज्ञानिक नाम सिट्रस सीनेंसिस है। माल्टा सर्दियों में पेड़ पर पकता है।
माल्टे का जूस पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर है। माल्टा का सेवन शरीर में एंटीसेप्टिक और एंटी ऑक्सीडेंट गुणों को बढ़ाता है।
माल्टा के छिलके का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन, भूख बढ़ाने, अपच और स्तन कैंसर के घाव की दवा में भी किया जाता है।
नैनीताल, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चम्पावत तथा उत्तरकाशी में माल्टा बहुत मात्र में पैदा होता है। चमोली जिले के मंडल घाटी, थराली, ग्वालदम, लोल्टी, गैरसैंण तो माल्टा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।
खटाई को विशेष स्वाद के लिए जाना जाता है। पीसा हुआ पहाड़ी नमक मिलाकर इसका स्वाद और भी लाजवाब हो जाता है। सर्दियों में गुनगुनी धूप में खटाई का जमकर आनंद लिया जाता है।
उत्तराखण्ड में खासकर नैनीताल, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिलों में खटाई पाई जाती है।खटाई का वैज्ञानिक नाम ‘सिट्रस लेमन’ है। इस प्रजाति के फलों में ‘सिट्रिक एसिड’ अधिक पाई जाती है।
इससे जूस, अचार, चटनी और एनर्जी ड्रिंक्स तैयार की जाती है जिसकी बाजार में अच्छी मांग रहती है।