मेडिकल इमरजेंसी कभी भी आ सकती है और इस वजह से आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस ( Health Insurance) सभी के लिए जरूरी है। जो लोग नौकरी करते हैं, उन्हें कंपनी की तरफ से ही उनके और उनके परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध कराई जाती है।

पर दिक्कत तब आती है, जब आप अपना जॉब चेंज करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जॉब के साथ ही आपको यहां मिलने वाले हेल्थ इंश्योरेंस को भी छोड़ना पड़ता है या इसे जारी रखा जा सकता है।

इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा (IRDAI) के नियमों के मुताबिक कोई भी कर्मचारी ग्रुप इंश्योरेंस कवर को उसी इंश्योरेंस कंपनी के इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में बदल सकता है। वहीं, अगर आप ऐसा नहीं करते तो नौकरी के अंतिम दिन ही ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम के फायदे मिलने बंद हो जाते हैं।

दूसरी कंपनी में भी हेल्थ इंश्योरेंस जारी रखने के लिए ग्रुप पॉलिसी को इंडिविजुल पॉलिसी में बदलने की जरूरत होती है। इसके लिए मौजूदा ग्रुप इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करने पड़ता है कि आप कंपनी छोड़ने वाले हैं और ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी को इंडिविजुल पॉलिसी में बदलना चाहते हैं।

इंश्योरेंस को बदलने के लिए पुरानी कंपनी की सहमति भी जरूरी होती है। अगर कंपनी से सहमति मिल गई तो कुछ दिनों के भीतर ही इंश्योरेंस पॉलिसी को बदल दिया जाता है।नोटिस पीरियड की आखिरी तारीख के कम से कम 30 दिन पहले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में बदलने की अर्जी दे देनी पड़ती है।

पॉलिसी बदलने के फायदें ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में बदलने के बहुत-से फायदें है। – ग्रुप पॉलिसी के शुरुआती तारीख के आधार पर ही आपकी पर्सनल हेल्थ पॉलिसी के लिए वेटिंग पीरियड तय होता है।

– ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के पहले हो चुके कवरेज का क्रेडिट इंडिविजुअल मेंबर्स को भी मिलता है। – इंडिविजुअल पॉलिसी में किसी बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड ग्रुप पॉलिसी के मुकाबले ज्यादा है, तो इंश्योरेंस कंपनी को ये बात पहले ही बतानी पड़ती है।