गुरुवार, 23 फरवरी को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इसे विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। गुरुवार और चतुर्थी के योग में गणेश जी के लिए व्रत करने के साथ ही विष्णु जी और महालक्ष्मी का अभिषेक करें, गुरु ग्रह के लिए पीली चीजों का दान करें। मान्यता है कि चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं, क्योंकि ये भगवान के जन्म की तिथि है। इस वजह से सालभर की सभी चतुर्थियों पर गणपति जी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है।

23 फरवरी को चतुर्थी पर पूजा में गणेश मंत्रों का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र - श्री गणेशाय नम:, ऊँ गं गणपतयै नम: ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ गजाननाय नम: आदि।

ये है चतुर्थी व्रत की सरल विधि – चतुर्थी पर स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें। – घर के मंदिर में सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित करें।– भगवान का जल, पंचामृत और फिर जल से अभिषेक करें। जनेऊ, सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं। फूलों से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं।

– गणेश जी के मंत्र का जप करते हुए धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में गणेश जी के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें। – जो लोग चतुर्थी व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्रत में फलाहार कर सकते हैं। पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजें खा-पी सकते हैं।

ऐसे कर सकते हैं गुरु ग्रह की पूजा – गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है। इसलिए गुरुवार को शिवलिंग पर केसर मिश्रित जल चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े फूल चढ़ाकर श्रृंगार करें,शिव जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

– धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में गुरु ग्रह के मंत्र ऊँ गुरुवे नमः का या ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। दक्षिणावर्ती शंख से करें विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक– भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। इसके लिए केसर मिश्रित दूध दक्षिणावर्ती शंख में भरें और भगवान को स्नान कराएं।

– ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते रहें। पीले वस्त्रों से और पीले फूलों से श्रृंगार करें। – मौसमी फल चढ़ाएं। मिठाई का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी लें।