उत्तराखण्ड में न्यायी देवता के रूप मे पूजे जाते हैं ” गोलू देवता ”  गोलज्यू महाराज  |

नैनीताल जिले के भवाली से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर बसा है रमणीक , शांत एंव धार्मिक स्थल “घोड़ाखाल” | घोड़ाखाल न्यायी गोलू देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है |

घोड़ाखाल में गोलू (गोल्ज्यू) देवता का भव्य मंदिर है। मंदिर के अंदर सफेद घोड़े में सिर पर सफेट पगड़ी बांधे गोलू देवता की प्रतिमा है, जिनके हाथों में धनुष बाण है

“घोड़ाखाल” का शाब्दिक अर्थ है ” घोड़ों के लिए पानी का एक तालाब “ | घोड़ाखाल एक छोटा सा गांव सुन्दर पहाड़ी क्षेत्र है |

जो कि मुख्य रूप से पहाड़ी लोगों द्वारा पूजा की गई भगवान गोलू के मंदिर के लिए जाना जाता है | जो समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आकर्षक क्षेत्र है |

इसे ” घंटियों के मंदिर ” के नाम से भी जाना जाता है | गोलू देवता का मंदिर भव्य व आकर्षक है |

चारों ओर टंगी घंटियां व भक्तों के कागजों पर लिखे मन्नतों स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवभूमि में गोलू देवता न्यायी देवता के रूप में पूजे जाते हैं |

मंदिर में हर तरफ बंधी हजारों घंटियां लोगों में गोलू देवता की आस्‍था का प्रतीक है। नवरात्रों व श्रावण मास में मंदिर में अत्यधिक चहल पहल बढ़ी रहती है |

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के घोड़ाखाल मंदिर में स्थित गोलू देवता के मंदिर में एक पत्र भेजकर ही मुराद पूरी होती है। यहां शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रम भी हाेते हैं।