सर्दियों में बरसात न होने और बर्फबारी न के बराबर होने से जंगलात की नींद उड़ी हुई है। जंगल में नमी न होने के कारण आग का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में वन विभाग सभी आवश्यक तैयारियों में जुटा है।

वनाग्नि को लेकर जिला प्लान स्वीकृत हो चुका है। बुधवार से फायर सीजन शुरू होने जा रहा है, जबकि दिसंबर से प्रदेश में जंगल की आग की 10 घटनाएं हो चुकी है, इसमें करीब 39 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंच चुका है।

सर्दियों की बारिश और बर्फबारी होने से वनों में नमी बनी रहती है, ऐसे में आग लगने का खतरा कम रहता है पर इस बार हालात प्रतिकूल लग रहे हैं। सर्दियों में बारिश नहीं हुई है।

पिछली बार नैनीताल जिले में तीन बार तक बर्फबारी हो चुकी थी। बर्फबारी भी न के बराबर हुई। इसके साथ ही तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में वन विभाग की जंगल की आग को लेकर चिंता बढ़ गई है।

मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं प्रसन्न पात्रो कहते हैं कि बारिश न होने के कारण जंगल की आग को लेकर खतरा बढ़ गया है। विभाग ने बीते दस वर्षों में किस प्रभाग के रेंज, बीट और कपार्टमेंट में सर्वाधिक आग लगी है उसका डाटा एकत्र किया है

इसमें जो संवेदनशील स्थान आए हैं उसके हिसाब से बीट वाचरों को तैनात किया जाएगा। वनाग्नि को लेकर जिलों का प्लान तैयार कर लिया गया है। जिला प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय करते हुए कार्य करने का निर्देश वन कर्मियों को दिए गए हैं।

डीएफओ हल्द्वानी बाबूलाल का कहना है कि मास्टर क्रू स्टेशन और 22 क्रू स्टेशन तैयार किए गए हैं। कर्मियों को तैनात किया गया। सभी आवश्यक उठाए जा रहे हैं।

पिछले साल जंगल की आग की काफी घटनाएं हुई थी। इन वनाग्नि की 2185 घटनाओं में 3425 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। इसके अलावा प्लांटेशन एरिया भी प्रभावित हुआ था।