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Giloy गिलोय के औषधीय उपयोग, गुण एवं परहेज

गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। गिलोय में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

पोषक तत्व

आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां,  जड़ें और तना तीनो ही भाग सेहत के लिए बहुत गुणकारी हैं लेकिन बीमारियों के  इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का ही होता है।

औषधीय गुण

गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में  एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी  गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज,  कब्ज़, एसिडिटी आदि रोगों से आराम दिलाती है।

एंटी ऑक्सीडेंट

बहुत कम औषधियां ऐसी होती हैं जो वात, पित्त और कफ तीनो को नियंत्रित करती हैं, गिलोय उनमें से एक है

वात, पित्त और कफ

आमतौर पर लोगों को गिलोय के फायदे तो पता होते है लेकिन सेवन सही  विधि नहीं पता होती है।

गिलोय संबंधी जानकारी 

आमतौर पर गिलोय का सेवन आप इन तीन रूपों में कर सकते हैं : गिलोय सत्व, गिलोय जूस या गिलोय स्वरस और गिलोय चूर्ण

सेवन की विधि 

आइये देखें अलग अलग रोगों मे इसका उपगोय कैसे किया जाता है। अगली स्लाइडस में। 

खुराक और सेवन का तरीका : डायबिटीज के लिए आप दो तरह से गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय जूस : दो से तीन चम्मच गिलोय जूस (10-15ml) को एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। गिलोय चूर्ण : आधा चम्मच गिलोय चूर्ण को पानी के साथ दिन में दो बार खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे बाद लें।

डायबिटीज (Diabetes)

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय के रुप  में गिलोय का सेवन करना सबसे ज्यादा प्रचलित है।  खुराक और सेवन का तरीका :  डेंगू होने पर दो से तीन चम्मच गिलोय जूस को एक कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने से एक-डेढ़ घंटे पहले लें। इससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता है।

डेंगू (Dengue)

पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि  कब्ज़, एसिडिटी या अपच में  गिलोय बहुत फायदेमंद  साबित हो सकती है।  खुराक और सेवन का तरीका :  आधा  से एक चम्मच गिलोय चूर्ण को गर्म पानी के साथ रात में सोने से पहले लें।   इसके नियमित सेवन से कब्ज़, अपच और एसिडिटी आदि पेट से जुड़ी समस्याओं से  जल्दी आराम मिलता है।

अपच (Indigestion)

 गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण  यह खांसी से जल्दी आराम दिलाती है।  खुराक और सेवन का तरीका : खांसी  से आराम पाने के लिए गिलोय का काढ़ा बनाकर शहद के साथ उसका सेवन करें।  इसे  दिन में दो बार खाने के बाद लेना अधिक लाभ देता है।

खांसी (Cough)

गिलोय या गुडूची में ऐसे एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो पुराने से पुराने बुखार को भी ठीक  कर देती है।  इसी वजह से मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे गंभीर रोगों  में होने वाले बुखार से आराम दिलाने के लिए गिलोय सेवन की सलाह दी जाती है। खुराक और सेवन का तरीका :  बुखार से आराम पाने के लिए गिलोय घनवटी (1-2 टैबलेट) पानी के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें।

बुखार (Fever)

गिलोय या गुडूची में ऐसे एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो पुराने से पुराने बुखार को भी ठीक  कर देती है।  मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे गंभीर रोगों  में  गिलोय सेवन की सलाह दी जाती है। खुराक और सेवन का तरीका :  बुखार से आराम पाने के लिए गिलोय घनवटी (1-2 टैबलेट) पानी के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें।

बुखार (Fever)

गिलोय के कुछ स्थितियों मे विपरीत परिणाम हो सकते हैं। उपयोग करने से पूर्व उनकी जानकारी भी होनी चाहिए। अगली स्लाइडस में  देखें

गिलोय से परहेज

गिलोय के सेवन से शरीर की इम्युनिटी  पॉवर मजबूत तो होती है लेकिन कई बार इम्युनिटी के अधिक सक्रिय होने की वजह  से ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा

इसीलिए ऑटो इम्यून बीमारियों  जैसे कि मल्टीप्ल स्केरेलोसिस या रुमेटाइड आर्थराइटिस आदि से पीड़ित मरीजों  को गिलोय से परहेज की सलाह दी जाती है।

जो लोग पहले से ही निम्न रक्तचाप के मरीज हैं उन्हें गिलोय के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि  गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम करती है।

निम्न रक्तचाप  (Low Blood pressure)

इसी तरह किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय का सेवन किसी भी रुप में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती है जिससे सर्जरी के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सर्जरी पूर्व  (Before Operation)

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं  को भी गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हालांकि गर्भावस्था के  दौरान गिलोय के नुकसान के प्रमाण मौजूद नहीं है फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह  लिए गर्भावस्था में गिलोय का सेवन ना करें।

गर्भावस्था  (Pregnancy)

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