आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैटबॉट वर्चुअल वर्ल्ड ही नहीं रियल वर्ल्ड की सुर्खियों में भी छाया हुआ है। जहां यह क्रांति ओपनएआई के चैटजीपीटी से शुरू हुई थी अब धीरे- धीरे गूगल के बार्ड और माइक्रोसॉफ्ट के सर्चिंग टूल्स तक आ पहुंची है।
हालांकि, इसे एडवांस टेक्नोलॉजी का दौर माना जा सकता है लेकिन यह आम यूजर की प्राइवेसी के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है।
एक रिपोर्ट की मानें तो कई ऐसे दावे हैं जो आपकी प्राइवेसी के उपयोग को लेकर चौंका सकते हैं। आपकी जानकारियों का इस्तेमाल इस एडवांस टेक्नोलॉजी द्वारा आपकी इजाजत के बिना किया जा चुका है।
जानकारों का दावा है कि अगर आप किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं और आपने खुद अपनी निजी जानकारियां किसी उद्देश्य से पब्लिक की हैं तो यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैटबॉट की पकड़ में भी आ सकता है।
चैटजीपीटी निर्माता कंपनी ओपनएआई की ही बात करें तो कंपनी ने चैटबॉट के लिए एक बड़े लेवल पर डाटा इकट्ठा किया है। यह करीब 300 बिलियन वर्ड्स का डाटा है, जिसे इंटरनेट से जुटाया गया है। ऐसे में इस डाटा में आपकी निजी जानकारियों का होना भी कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी।
दूसरी ओर इंटरनेट पर इस तकनीक का इस्तेमाल साइबर ठगों का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साइबर ठग इस चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने के लिए तमाम तरीके अपना रहे हैं। एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है
कि साइबर अपराधी चैटजीपीटी का इस्तेमाल टेलीग्राम बॉट्स के लिए कर रहे हैं। इस टेलीग्राम बॉट के जरिए मालवेयर और यूजर की निजी जानकारियों को चुराने का रास्ता खुल रहा है।
इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसी टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल पर रोक के लिए भी संबंधित संस्थाओं का ध्यान नहीं जाएगा। तेजी गति से रफ्तार पकड़ आगे बढ़ रही इस टेक्नोलॉजी का क्षेत्र बड़ा हो रहा है। ऐसे में साइबर अपराधियों को रोकने के लिए भी नए तरीके अपनाए जाने की उम्मीद है।
अच्छी बात ये है कि वर्तमान में साइबर अपराधी इस चैटबॉट का सीधा इस्तेमाल गलत जानकारियों के लिए नहीं कर सकते हैं क्योंकि चैटजीपीटी फिशिंग मेल और मालवेयर जनरेट नहीं करता है।