उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन इतिहास

by Ranjeeta S
901 views


★ उत्तराखंड को 5-6 मई 1938 ई० को श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में इस क्षेत्र को पृथक राज्य बनाने सम्बंधित मांग उठाई गयी थी।
★ इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहर लाल नेहरू कर रहे थे। 1938 ई० में श्री देव सुमन ने पृथक राज्य की मांग हेतु दिल्ली में गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की बाद में इस संगठन का नाम हिमालय सेवा संगठन हो गया था।

★ 1946 में हल्द्वानी में कांग्रेस सम्मेलन हुआ जिसमें अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने गढ़वाल व कुमाऊँ को अलग क्षेत्रीय भाग बनाने की मांग उठाई गयी व बद्रीदत्त पांडे द्वारा उत्तरांचल के पर्वतीय भूभाग को विशेष वर्ग में रखने की मांग उठाई गयी।
★ वर्ष 1950 ई० में उत्तराखंड एवं हिमाचल को एक पृथक हिमालयी राज्य बनाने के लिये पर्वतीय विकास जन समिति नामक संगठन बनाया गया।
★ 1955 में फजल अली आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन हेतु पृथक क्षेत्र बनाने की मांग की। 1957 ई० में टिहरी नरेश मानवेन्द्र शाह भी उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन में जुड़ गये व अपने स्तर से शुरू किया।

पर्वतीय राज्य परिषद-

जून 1967 ई० में दयाकृष्ण पाण्डेय की अध्यक्षता में रामनगर में पर्वतीय राज्य परिषद का गठन किया गया। पर्वतीय राज्य परिषद के अध्यक्ष- दयाकृष्ण पाण्डेय उपाध्यक्ष – गोविंद सिंह मेहरा महासचिव- नारायण दत्त सुंदरियाल।

उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु आंदोलन-

★ 1969 में पर्वतीय विकास परिषद का गठन किया गया।
★ 3 अक्टूबर 1970 को पी० सी० जोशी द्वारा कुमाँऊ राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया गया।
★ 1972 को नैनीताल में उत्तरांचल परिषद का गठन हुआ
★ 1973 में उत्तरांचल परिषद ने दिल्ली चलो का नारा दिया।
★ 1976 में उत्तराखंड युवा परिषद का गठन किया गया।
★ 1979 में त्रेपन सिंह नेगी जी ने उत्तरांचल राज्य परिषद का गठन किया।

उत्तराखंड क्रांति दल-

★ उत्तराखंड क्रांति दल उत्तराखंड का क्षेत्रीय राजनीतिक दल है। जिसने उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 24-25 जुलाई 1979 को मसूरी में आयोजित पर्वतीय जन विकास सम्मेलन में उत्तराखंड क्रांति दल का गठन किया गया।
★ उत्तराखंड क्रांति दल के प्रथम अध्यक्ष कुमाँऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ देवीदत्त पांडे बनाये गये। 1987 में उत्तराखंड क्रांतिदल का विभाजन हो गया व दल की बागडोर काशी सिंह एरी ने संभाली।
★ 9 सितंबर 1987 को उत्तराखंड क्रांति दल ने उत्तराखंड बंद का आयोजन किया।
★ 23 नवम्बर 1987 को उत्तराखंड क्रांति दल ने राष्ट्पति को ज्ञापन सौंपा व हरिद्वार को उत्तराखंड में शामिल करने की मांग की गई।
★ 1990 में उत्तराखंड क्रांति दल के जसवंत सिंह बिष्ट ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार पृथक राज्य का प्रस्ताव रखा।
★ जुलाई 1992 में उत्तराखंड क्रान्तिकाल ने एक दस्तावेज जारी किया जिसमें गैरसैंण को उत्तराखंड राज्य की राजधानी घोषित किया गया।
★ 21 जुलाई 1992 को काशी सिंह ऐरी ने गैरसैंण में राजधानी की नींव डाली व उसका नाम चंद्रनगर घोषित किया।

भारतीय जनता पार्टी व उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन-

★ 1987 में लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में अल्मोड़ा में पर्वतीय राज्य के तर्ज पर उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश पृथक करने की मांग की व इस पृथक राज्य का नाम उत्तरांचल प्रस्तावित किया।
★ 1988 में भाजपा ने शोभन सिंह की अध्यक्षता में उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया।
★1991 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड पृथक राज्य की मांग को अपने घोषणा पत्र में रखा।
★ 1991 में भाजपा को उत्तर प्रदेश में सफलता मिली व कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री बने।
★ अगस्त 1991 में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने पहली बार उत्तराखंड पृथक राज्य प्रस्ताव विधान सभा में पास कराया लेकिन तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।
★ 6 दिसम्बर 1992 को कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया व 1993 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बने।

कौशिक समिति व बड़थ्वाल समिति का गठन-

★ 1993 में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
★ 1994 में मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु दो समितियों का गठन किया – कौशिक समिति व बड़थ्वाल समिति कौशिक समिति।

कौशिक समिति-

★ कौशिक समिति का गठन 4 जनवरी 1994 में किया गया कौशिक समिति के अध्यक्ष रमाशंकर कौशिक थे।
★ मई 1994 में कौशिक समिति ने उत्तराखंड पृथक राज्य पर अपनी राय प्रस्तुत की व उत्तराखण्ड राज्य में 8 जनपदों व 3 मंडलो की स्थापना की सिफारिश की थी।
★ 21 जून 1994 ई० में मुलायम यादव सरकार ने कौशिक समिति की सिफारिश स्वीकार की।

बड़थ्वाल समिति-
★ 1994 में विनोद बड़थ्वाल की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया।
★ 01 सितम्बर 1994 को उधमसिंह नगर के खटीमा पुलिस द्वारा रैली पर गोलिया चलाई गयी। जिसमे कई लोग शहीद हुए।
★ 02 सितम्बर 1994 को मंसूरी के झूला घर में खटीमा घटना का विरोध कर रहे लोगो पर पुलिस ने हमला कर दिया तथा 2 महिलाए हँसा घनाई तथा बेला मति चौहान शहीद हुई और साथ ही पुलिस अधिक्षक उमा कान्त त्रिपाठी भी शहीद हुए।
★ 02 अक्टूबर 1994 को दिल्ली में होने वाली रैली में भाग लेने जा रहे आंदोलनकारियो को रामपुर तिराहे ( मुजफ्फरपूरा ) पर पुलिस ने घेर लिया गया। पुरुषों की तलाशी के नाम पर बसों से निचे उतारा गया तथा महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करा गया। इस घटना को क्रुर शासक की क्रुर साजिश कहा गया। पुरुषों पर गोलिया चलाई गयी जिसमे कई लोग शहीद हुए। इस घटना को रोम का नीरो कांड भी कहा जाता है।
★ 10 नवम्बर 1994 को श्री यंत्र टापू कांड हुआ। जिस घटना में यशोधर बेंजवाल तथा राजेश रावत शहीद हुए।
★ 25 जनवरी 1995 उत्तरांचल आन्दोलन संचालन समिति ने संविधान बचाओ यात्रा निकाली।
★ 15 अगस्त 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री हरदनहल्ली डोडेगौडा देवगौडा ने लालकिले से उत्तराखंड राज्य की घोषणा की।
★ 27 जुलाई 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया गया।
★ 01 अगस्त 2000 को यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया।
★ 10 अगस्त 2000 को यह विधेयक राज्य सभा में भी पारित हो गया।
★ 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति रासीपुरम कृष्णस्वामी अय्यर नारायणस्वामी द्वारा इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए गए।
★ 09 नवम्बर 2000 को भारत को 27 वें राज्य के रूप में उत्तरांचल राज्य का गठन हुआ।
★ 01 जनवरी 2007 को राज्य का नाम उत्तरांचल से परिवर्तित कर उत्तराखंड किया गया।



Related Articles

Leave a Comment

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.