एक वृक्ष काटने पर लगाने होंगे दस पौधे, देहरादून नगर निगम का फैसला

by Diwakar Rautela
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प्रदेश की राजधानी और स्मार्ट सिटि बनने की सूची में शामिल नगर देहरादून में एक और सकारात्मक पहल: शहर में विकास कार्यों के बीच पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नगर निगम ने एक महतपुर्ण निर्णय लिया है। नगर निगम ने पेड़ काटने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने के एवज में कुछ शर्तें व शुल्क तय किए गए हैं। आवासीय प्लॉट में पेड़ काटने पर प्लॉट स्वामी को प्रति वृक्ष दो हजार रुपये जबकि व्यावसायिक प्लॉट में दस हजार रुपये प्रति पेड़ शुल्क नगर निगम में देना होगा। यही नहीं, आवासीय प्लॉट के स्वामी को किसी भी भूमि पर पांच पौधे जबकि व्यावसायिक प्लॉट के स्वामी को दस पौधे लगाने पड़ेंगे। इसकी तस्वीर नगर निगम को देने पर ही उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्रदान किया जाएगा।

वर्तमान में वृक्ष काटने के लिए वन विभाग से अनुमति ली जाती है। जिसके बाद वन विभाग द्वारा संबंधित भू-स्वामी से नगर निगम से भी एनओसी लाने को कहा जाता है। अभी तक नगर निगम इसके लिए कोई शुल्क नहीं लेता था मगर शनिवार को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में नगर में पेड़ कटान पर शुल्क एवं शर्तें तय करने का निर्णय लिया गया। महापौर सुनील उनियाल गामा की अध्यक्षता व नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय की उपस्थिति में हुई बैठक में कार्यकारिणी सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अब कठोर कदम उठाने की पैरवी की। जिसके बाद तय हुआ कि अब पेड़ काटने के लिए मुफ्त में एनओसी नहीं दी जाएगी। इसके लिए प्रति पेड़ शुल्क व शर्तें तय कर दी गईं हैं।

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यह है शहर की वर्तमान स्थिति

अपनी हरियाली और स्वच्छ हवा के लिए जाना जाने वाला दून अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। दून की हरियाली कंकरीट के जंगलों के पीछे छुपने लगी है। वैसे तो दून चारों ओर से वन क्षेत्र से घिरा हुआ है, लेकिन शहरीकरण के चलते दून का बदलता स्वरूप लगातार वनों पर दबाव बढ़ा रहा है। हालांकि, हर साल मानसून सीजन में शासन-प्रशासन के साथ ही तमाम संस्थाएं पौधे रोपने और लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती हैं, परंतु जमीनी स्तर पर यह प्रयास नजर नहीं आते। दून में अब भी लगभग 50 फीसद वन क्षेत्र है। लेकिन, बढ़ती आबादी और शहरीकरण के बीच वनों के सिमटने के सिलसिला लगातार जारी है। तेजी से बढ़ती कॉलोनियां, सड़कों का जाल प्रमुख वजह तो हैं हीं,  साथ ही भारी मात्रा में किए जा चुके अतिक्रमण और वनों के दोहन भी इसका कारण हैं। ऐसे में पौधरोपण, पौधों की देख-रेख एवं वनों के दोहन को रोकने के लिए वृहद स्तर पर गंभीर प्रयास की आवश्यकता नजर आती है।

पौधे नहीं लगा सकते तो नगर निगम में देने होंगे पौधे

वृक्ष काटने के बदले पौधे लगाने की शर्त में नगर निगम ने राहत भी दी है। सवाल ये उठ रहा था कि संबंधित भू-स्वामी किसकी जमीन पर पौधरोपण करेगा। जिस पर नगर आयुक्त ने विनय शंकर पांडेय ने बताया कि पौधे केवल अपने प्लॉट में ही नहीं सरकारी जमीन पर भी लगाए जा सकते हैं। यदि इस प्रक्रिया में भी परेशानी है तो भू-स्वामी पौधे नगर निगम में जमा करा सकता है। जिसके उपरांत निगम खुद पौधरोपण कराएगा।



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