कुमाऊँ क्षेत्र की एक रहस्यमयी गुफा

by Mukesh Kabadwal
840 views


mahaavtarbabaji

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रो में कई दिव्य शक्तियों से युक्त व क्रिया योगी साधु संत आज भी रहते हैं। हिमालय की चोटियों में अधिकतर ये निवास करते हैं। इन साधु संतो को प्रकृति के किसी भी मौसम व भूख प्यास का कोई असर नहीं होता है, क्योंकि ये साधु संत सिद्ध योगी होते हैं।

ऐसे ही एक सिद्ध योगी थे महावतार बाबाजी जिनकी तपस्थली अल्मोड़ा के दुनागिरि क्षेत्र के कुकुछीना में स्थित एक गुफा में थी। यह गुफा आज भी बहुत तेज युक्त है। दूर -दूर से बड़ी बड़ी हस्तिया यहां ध्यान करने आती हैं। माना जाता है, यहां वो आज भी अपने भक्तो को योग साधना की दीक्षा देते हैं।

babaji cave

फिल्म अभिनेता रजनीकांत व जूही चावला जैसी हस्तियां भी यहां ध्यान करने हर साल आती हैं। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध सुपरस्टार रजनीकांत भी महावतार बाबा के भक्त हैं। उन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी है। रजनीकांत द्वारा लिखित 2002 की तमिल फिल्म ‘बाबा’ बाबाजी पर आधारित थी।

बाबाजी के कई चर्चित किस्से आज भी यहां के लोग बताते हैं।

माना जाता है कि बाबाजी पिछले 5000 वर्षो से जीवित है। उन्होंने ही आदि गुरु शंकराचार्य जी को क्रिया योग की दीक्षा दी थी, व संत कबीर को भी दीक्षा दी थी। इसके बाद प्रसिद्ध संत लाहड़ी महाशय को उनका शिष्य बताया जाता है।

लाहिड़ी महाशय के शिष्य स्वामी युत्तेश्वर गिरि थे और उनके शिष्य परमहंस योगानंद ने अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी‘ (योगी की आत्मकथा, 1946) में महावतार बाबा जी का जिक्र किया है। कहते हैं कि 1861 और 1935 के बीच महावतार बाबा ने कई संतों से भेंट की थी। लाहिड़ी महाशय और उनके शिष्य इस बारे में कहते आए हैं।

https://youtu.be/5W3R1MeIu9Y
लाहिड़ी महाशय रानीखेत में, देखें विडियो

आधुनिक काल में सबसे पहले लाहड़ी महाशय ने महावतार बाबा से मुलाकात की फिर उनके शिष्य युत्तेश्वर गिरि ने 1894 में इलाहाबाद के कुंभ मेले में उनसे मुलाकात की थी। युत्तेश्वर गिरि की किताब ‘द होली साइंस‘ में भी उनका वर्णन मिलता है। उनको 1861 से 1935 के दौरान कई लोगों के द्वारा देखे जाने के सबूत हैं। जिन लोगों ने भी उन्हें देखा है, हमेशा उन्होंने उनकी उम्र 25 से 30 साल की ही बताई है।

योगानंद ने जब उनसे मिले थे तो वे सिर्फ 19 साल के नजर आ रहे थे। योगानंद ने किसी चित्रकार की मदद से उन्होंने महावतार बाबा का चित्र भी बनवाया था, वही चित्र सभी जगह प्रचलित है। परमहंस योगानंद को बाबा ने 25 जुलाई 1920 में दर्शन दिए थे इसीलिए इस तिथि को प्रतिवर्ष बाबाजी की स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वर्तमान में पूना के गुरुनाथ भी महावतार बाबाजी से मिल चुके हैं। उन्होंने बाबाजी पर एक किताब भी लिखी है जिसका नाम ‘द लाइटिंग स्टैंडिंग स्टील‘ है। दक्षिण भारत के श्री एम. भी महावतार बाबाजी से कई बार मिल चुके हैं। सन् 1954 में बद्रीनाथ स्‍थित अपने आश्रम में 6 महीने की अवधि में बाबाजी ने अपने एक महान भक्त एसएए रमैय्या को संपूर्ण 144 क्रियाओं की दीक्षा दी थी।

 

 बाबाजी से जुड़े कुछ किस्से –एक बार बाबाजी के पास एक व्यक्ति आया और वह बाबाजी से दीक्षा लेने की जिद करने लगा। बाबाजी ने जब मना कर दिया तो उसने पहाड़ से कूद जाने की धमकी थी। बाबा ने कहा कि जाओ कूद जाओ और वह व्यक्ति तुरंत ही कूद गया। यह दृश्य देख वहां मौजूद लोग सकते में आ गए। तब बाबाजी ने कहा कि पहाड़ी से नीचे जाओ और उसका शव लेकर आओ। शिष्य गए और शव लेकर आए। शव क्षत-विक्षत हो चुका था। बाबाजी ने शव के ऊपर जैसे ही हाथ रखा, वह धीरे धीरे करके ठीक होने लगा और जिंदा हो गया। तब बाबा ने कहा कि यह तुम्हारी अंतिम परीक्षा थी। आज से तुम भी मेरी टोली में शामिल हुए।

एक पुस्तक में छपा बाबाजी का एक किस्सा

(उत्तरापीडिया के अपडेट पाने के लिए फेसबुक ग्रुप से जुड़ें! आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)



Related Articles

Leave a Comment

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.