राष्ट्रीय मतदाता दिवस में जाने कई उपयोगी जानकारियाँ

by Diwakar Rautela
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इस लेख में है – मतदाता दिवस मनाए जाने का उद्देश्य, मतदाता बनने की न्यूनतम अहर्ता, इस वर्ष से मतदान हेतु जाग्रति प्रसार हेतु वेब रेडियो का शुभारंभ की जानकारी, अब आप app में रख सकेंगे अपना वोटर ID पहचान पत्र, चुनाव आयोग का कार्य आदि के साथ अन्य रोचक और उपयोगी जानकारियाँ।

भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है। भारतीय निर्वाचन आयोग पूरे देश में इस बार 11वाँ राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जा रहा है।

भारत में जितने भी चुनाव होते हैं, उनको निष्पक्षता से संपन्न कराने की जिम्मेदारी “भारत निर्वाचन आयोग” की होती है। इस आयोग का गठन भारतीय संविधान के लागू होने से 1 दिन पूर्व यानि 25 जनवरी 1950 को हुआ था, क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतांत्रिक देश बनने वाला था और भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था, अतः 25 जनवरी 1950 को “भारत निर्वाचन आयोग” गठन हुआ।

प्रतिवर्ष मतदाता दिवस मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य था कि देश भर के सभी मतदान केन्द्र वाले क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष उन सभी पात्र मतदाताओं की पहचान जारी की जाएगी, जिनकी उम्र उस वर्ष की एक जनवरी को 18 वर्ष हो चुकी होगी। इस सिलसिले में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाएँगे और उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंपे जाएँगे। पहचान पत्र बाँटने का काम सामाजिक, शैक्षणिक व गैर-राजनीतिक व्यक्त‌ि करते हैं।

वर्ष 1950 से स्थापित चुनाव आयोग के 61वें स्‍थापना वर्ष पर 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपत‌ि श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का शुभारम्भ किया था। इस आयोजन के दो प्रमुख विषय थे, ‘समावेशी और गुणात्मक भागीदारी’ (Inclusive and Qualitative Participation) तथा ‘कोई मतदाता पीछे न छूटे’ (No Voter to be left behind)।

इस दिन देश में सरकारों और अनेक गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं द्वारा लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे कि देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं में लोगों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

कौन दे सकता है वोट?

भारत के संविधान के मुताबिक, जो भारत का नागरिक है और जिसकी उम्र 18 साल या उससे अधिक है। बिना किसी भेदभाव या सिटीजनशिप एक्ट के तहत इन लोगों को वोटिंग अधिकार दिया जाता है। जिन एनआरआई (NRI) के पास इंडियन पासपोर्ट होता है, उन्हें भी वोट देने का अधिकार होता है। 18 वर्ष का होने पर वह सभी प्रकार के लोकतांत्रिक चुनावों में वोट डाल सकता है। हमारे लोकतंत्र को विश्व में इतना मजबूत बनाने के लिए मतदाताओं के साथ-साथ भारत देश के निर्वाचन आयोग का भी अहम् योगदान है।

हम सबका एक वोट ही क्षेत्र में एक अच्छा प्रतिनिधि भी चुन सकता है और एक अयोग्य प्रतिनिधि भी चुन सकता है, अतः भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने मत का प्रयोग सोच-समझकर अवश्य करना चाहिए और ऐसी सरकारें या प्रतिनिधि चुनने के लिए करना चाहिए, जो कि देश को शांति और उन्नति की राह पर ले जा सकें।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2021 की थीम :- सभी मतदाता बनें:-सशक्त, सतर्क, सुरक्षित, जागरूक (Making Our Voters Empowered, Vigilant, Safe and Informed)

वेब रेडियो “हैलो वोटर्स” का शुभारंभ

इस वर्ष से राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर ई वोटर्स कार्ड की शुरुआत की जाएगी। जबकि, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वेब रेडियो “हैलो वोटर्स” का शुभारंभ भी करेंगे। इस डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए मतदाताओं में जागरूकता फैलाई जाएगी। एफएम रेडियो सर्विस की तर्ज पर वेब रेडियो से कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे। हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में श्रोताओं को मतदान से जुड़ी उपयोगी जानकारियां दी जाएगी।

चुनाव आयोग की क्या ज़िम्मेदारी और कार्य होता है ?

भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। देश में होने वाले सभी चुनावों को आयोजित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। ये संस्था संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत आती है। इसमें तीन सदस्य प्रमुख होते हैं, पहले मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य आयुक्त शामिल होते हैं। इन्हें राष्ट्रपति की तरफ से नियुक्त किया जाता है। सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।

चुनाव आयोग का कार्य लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव सम्पन्न कराना है। चुनाव के दौरान चुनाव आयोग एक गार्जियन की भूमिका में होता है। यही चुनाव के सभी दिशा- निर्देश तय करता है, जो उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल पर लागू होते हैं। अगर चुनाव के दौरान इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होता है, तो चुनाव आयोग में इसकी शिकायत की जा सकती है। ये संस्था चुनाव से जुड़े सभी तरह के निर्णय स्वयं लेती है। चुनाव के खर्चों पर नजर रखने के लिए इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) के अफसर इलेक्शन ऑब्जर्वर के रूप में होते हैं।

एक लोकसभा और विधानसभा सीट पर कितने मतदाता होते हैं ?

संविधान के अनुसार 10 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सांसद होना चाहिए, पर भारतवर्ष में ये अनुपात फिलहाल 25 लाख की जनसंख्या पर एक सांसद की है। राज्यों में आबादी के हिसाब से संख्या को बढ़ाने और घटाने की बात कही गई हैं। इस हिसाब से 30 लाख लोगों पर एक सांसद और तमिलनाडु में करीब 20 लाख लोगों पर एक सांसद है। अगर 10 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट को बांटा जाए तो भारत में इसकी संख्या बढ़कर 1375 सीटें हो जाएंगी। अकेले यूपी में ये सीट का आंकड़ा 80 से बढ़कर 238 हो जाएगा। संविधान के अनुसार, जिन राज्यों में आबादी 6 लाख या उससे कम है, तो 10 लाख की आबादी में एक सांसद वाला सिद्धांत वहां लागू नहीं होगा।

चुनाव आयोग ने दी बड़ी सुविधा
इस वर्ष से, चुनाव आयोग आज से इलेक्ट्रॉनिक इलेक्टर्स फोटो आईडेंटिटी कार्ड (e-EPIC) ऐप की शुरुआत करने जा रहा है। इस ऐप की सहायता से अब आधार कार्ड की तरह वोटर आईडी कार्ड भी ऑनलाइन (Online Voter Id Card) जैनरेट किए जा सकेंगे। e EPIC ऐप को दो चरणों में लॉन्च किया जाएगा। पहला चरण 25 जनवरी से 31 जनवरी तक होगा, जिसमें यह सुविधा 19 हजार नए वोटर्स को दी जाएगी। और दूसरा चरण 1 फरवरी से शुरू होगा, जिसमें समस्त वोटर्स इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। इससे अब वोटर आईडी कार्ड की हार्ड कॉपी हमेशा साथ रखने की जरूरत नहीं होगी।

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