गुरु और शिष्य की प्रेरणादायक कहानी

by Sunaina Sharma
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यह बात है उन दिनों की जब गुरुकुल में पढ़ाई होती  थी। ऋषि मुनि जंगल में रहते थे और गुरुजी जंगल में आश्रम में रहते थे। आश्रम में ही सभी शिष्य गुरु जी से शिक्षा ग्रहण करते थे।

उसी समय आश्रम में एक गुरुजी के पास बहुत सारे नगर के बालक चाहे वह राजा के बालक हो या प्रजा के सभी एक ही गुरु जी से शिक्षा ग्रहण करते थे।

सभी शिष्य आश्रम में एक साथ रहकर प्रातः काल में गुरुजी से शिक्षा ग्रहण करते और फिर पास के नगर में भिक्षा मांगते थे। सभी शिष्य आश्रम में गुरु जी की सेवा भी करते और आश्रम के बाकी सभी कार्य, आश्रम की साफ-सफाई भोजन बनाना इत्यादि कार्य भी करते थे।

सभी शिष्य गुरु जी के बताए अनुसार दिनचर्या का पूरी तरह से पालन करते थे। लेकिन उन सभी शिष्यों में से एक शिष्य था जो बहुत आलसी था, वह अपना हर कार्य कल पर छोड़ देता था। वह किसी भी कार्य को कहता था कि, थोड़ी देर में कर लेंगे या कल कर लेंगे, और इस तरह से उसका कोई भी कार्य समय पर पूरा नहीं होता था। वह शिष्य आराम ज्यादा, चिंतन ज्यादा और काम कम करता था और शिक्षा ग्रहण करने में भी उसका मन नहीं लगता था। गुरुजी को उसकी दिनचर्या और उसका आलस भरा जीवन देख कर चिंता होती थी।

गुरुजी ने उसकी इस आदत को सुधारने की एक तरकीब निकाली। एक दिन गुरुजी ने उसको एक जादुई लाल चमकदार सेब दिया और उससे कहा कि यह कोई मामूली सेब नहीं है इसको तुम खाना मत और ना ही किसी को देना, इसे बहुत संभाल कर रखना, यह तुम्हारी जिम्मेदारी है। इस सेब की एक खासियत है, यदि तुम इस सेब से किसी भी अन्य वस्तु को स्पर्श करोगे तो वह सोने में तब्दील हो जाएगी।

लेकिन यह सिर्फ तुम्हारे पास मात्र 1 दिन के लिए रहेगा, क्योंकि मैं आश्रम में 1 दिन नहीं रहूंगा, मुझे नगर के राजा का बुलावा आया है, इसलिए इस सेब को संभाल कर रखना, यह जिम्मेदारी तुम्हारी है।तुम चाहो तो इस सेब का इस्तेमाल एक दिन के लिए कर सकते हो, मतलब किसी भी पदार्थ को तुम सोने में बदल सकते हो।

गुरुजी की बात सुनकर शिष्य खुशी से फूला नहीं समा रहा था।शिष्य ने गुरुजी से कहा ठीक है गुरुजी आप बेफिक्र होकर जाइए राजा के पास, आप सेब की चिंता बिल्कुल ना करिएगा। मैं इसे संभाल कर इस्तेमाल करूंगा।

(शिष्य को वह जादुई सेब देकर गुरुजी चले जाते हैं।) 

उसके बाद शिष्य सोचता है कि, मैं नगर के बाजार में जाऊंगा और वहां से बहुत सारा लोहे का कबाड़ उठा कर लाऊंगा और उस सभी कबाड़ को सेब से स्पर्श करके सोने में तब्दील कर दूंगा, लेकिन फिर वह सोचता है कि अभी तो बहुत समय है, दोपहर में जाता हूं।

देखते-देखते दोपहर का समय भी हो जाता है, उसके बाद भी वह सोचता है कि अभी तो बहुत धूप है और समय भी बहुत है शाम को जाऊंगा नगर से लोहे का कबाड़ लाने।

देखते ही देखते शाम भी हो जाती है और वह शाम को भी नहीं जाता है, लेकिन वह सोचता रहता है कि मैं कबाड़ लेने जाऊंगा लेकिन जाता नहीं है।

फिर बैठ कर पछताता है कि काश कि गुरु जी मुझे एक दिन और दे देते तो मैं अवश्य बहुत सारा कबाड़ ले आता और सोने में तब्दील कर पाता। लेकिन कहावत है कि जब चिड़िया चुग गई खेत तो पछताने से क्या फायदा। देखते ही देखते अगले दिन गुरु जी आश्रम में वापस भी आ गए।

गुरु जी ने शिष्य से कहां लाओ अब मुझे जादुई सेब वापस दे दो, परंतु शिष्य गुरु जी को सेब वापस अभी नहीं देना चाहता था, वह गुरु जी से विनती करने लगा कि मुझे सिर्फ 1 दिन के लिए और दे दीजिए उसके बाद मैं आपको सेब वापस दे दूंगा। गुरुजी ने कहा- नहीं, मैं तुम्हें 1 दिन से ज्यादा नहीं दे सकता। शिष्य बहुत पछता रहा था, उसे अपनी गलती पर पछतावा और अफसोस हो रहा था।

लेकिन फिर गुरु जी ने शिष्य को समझाया कि मैंने जो तुम्हें सेब दिया था, वह कोई जादुई सेब नहीं था। वह तो बस मैंने तुम्हें सबक सिखाने के लिए दिया था, जिससे तुम अपना हर कार्य समय पर कर पाओ और जीवन में तुम्हें कभी पछताना ना पड़े।

इस घटना के बाद शिष्य ने अपना आलस भरा जीवन हमेशा के लिए त्याग दिया, और वह अपना हर कार्य समय पर करता था। गुरुजी को उसे देख कर फिर बहुत प्रसन्नता हुई।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपना हर कार्य समय पर करना चाहिए, क्योंकि मौका हाथ से चले जाने पर वह समय दोबारा नहीं आता, सिर्फ पछतावा रह जाता है।

आशा करती हूं कि आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी, और आप अपना प्रत्येक कार्य आज से समय पर करेंगे, मिलते हैं अगली कहानी के साथ।



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