कैसा हो शिक्षक का व्यवहार?

by Sunaina Sharma
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यूं तो हम सभी की पहली शिक्षिका हमारी माता जी होती हैं, जो बचपन से ही हर बात बहुत बारीकियों से सिखाती हैं कि कैसे बोलना है?, कैसे चलना है?, कैसे खाना है?, कैसे पीना है?, और कैसे दूसरों के साथ व्यवहार करना है? बच्चे को सिखाना कि परिवार में किसे क्या बोलना है, यह हमें हमारी माता ही सिखाती हैं, और भी बहुत कुछ हम सभी ने अपनी माताओं से सीखा है, और अभी भी सीख ही रहे हैं।

अगले गुरु हमारे परिवार में हमारे पिताजी और परिवार के बाकी सदस्य होते हैं जो सिखाते हैं कि, परिवार में सब से जुड़कर कैसे रहना है?, समाज में सबके साथ कैसे उठना बैठना है, कैसे रहना है। अपनापन क्या होता है, इसकी सीख परिवार के सदस्य ही देते हैं।

इसके बाद ढाई तीन साल के होने पर स्कूल में दाखिला होता है, जहां पर हमें हमारे गुरु और हमारे मित्र मिलते हैं। मित्र सिखाते हैं कि कोई भी चीज बांटकर कैसे खानी है, अनजान दुनिया में किसी से बात कैसे करनी है, किसी अनजान व्यक्ति को अपना कैसे समझना है, कौन अच्छा है, कौन व्यक्ति बुरा, यह हमें स्कूल के विभिन्न विद्यार्थियों के व्यवहार को देखकर पता लगता है? जाने अनजाने में हम बहुत से लोगों से बहुत कुछ सीखते हैं।

हम सभी के जीवन में स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों का महत्व बहुत बड़ा है। वह हमें किताबी ज्ञान तो देते ही हैं परंतु दुनिया का व्यवहारिक ज्ञान भी देते हैं।

बच्चे बिल्कुल कुम्हार के द्वारा घड़ा बनाने वाली गीली और मुलायम मिट्टी के समान होते हैं, बचपन में शिक्षक उन्हें जैसा ज्ञान देते हैं, बच्चे खुद को हुबहू उस घड़े के समान ढाल लेते हैं, जैसा ज्ञान उनके शिक्षकों द्वारा उन्हें दिया जाता है। बच्चे अपने शिक्षकों के व्यवहार को देखकर भी बहुत कुछ सीखते हैं। इसलिए शिक्षकों को चाहिए कि वह अपने व्यवहार को और खुद को संयमित रखें, जिससे वह बच्चों के लिए प्रेरणा और मिसाल बन सके।

मेरे जीवन को सवारने में भी बहुत से शिक्षकों का योगदान है। सभी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। कुछ शिक्षक मिले जो बिल्कुल आत्मीयता से और अपने परिवार का सदस्य मानकर पारिवारिक व्यवहार के जरिए शिक्षा देते थे। बचपन में मेरे शिक्षक मेरे घर भी आते थे, वे पापा से कहते थे कि, आपकी बिटिया हमारी बिटिया है। आज भी मुझे शिक्षक और उनका व्यवहार और उनकी दी गई शिक्षाएं मुझे याद है।

परंतु जैसे-जैसे हम बड़े हुए कक्षाएं बड़ी हुई वैसे वैसे शिक्षा तो मिली, लेकिन शिक्षा का रूप व्यवसायिक हो गया, बचपन वाले टीचर की तरह बच्चों को अपना समझ बहुत कम टीचर थे जो पढ़ाते थे।

कुछ शिक्षक प्रोत्साहित करते थे और हम बच्चों के साथ मेहनत भी करते थे। परंतु कुछ शिक्षक ऐसे लगते थे मानो कि कक्षा में सिर्फ बच्चों को डांटने के लिए और उन पर गुस्सा करने के लिए ही आते हैं, और किसी ने गलती से उनसे सवाल पूछ लिया कोई, तो ऐसे डांट कर बताएंगे कि वह अपना अगला सवाल पूछने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। ऐसे शिक्षक इतने डरावने लगते थे कि वह सपने में भी आते थे तो उनका चेहरा गुस्से से लाल और वे चिल्लाते हुए नजर आते थे।

उनके ऐसे व्यवहार से उस विषय में पकड़ कमजोर हो गई और आज भी कमजोर है, जबकि उसी विषय में पहले कोई और शिक्षक पढ़ाते थे तो लगभग शत-प्रतिशत नंबर आते थे और कक्षा में हमेशा तारीफ होती थी।

अपने जीवन के अनुभव के द्वारा मैं बताना चाहती हूं कि शिक्षक को अपना व्यवहार सौम्य और वाणी मधुर रखना चाहिए। जिससे कक्षा का कमजोर से कमजोर छात्र भी शिक्षक से कुछ पूछने या सीखने में हिचकिचाहट महसूस ना करें और वह डरे ना शिक्षक से। शिक्षक का बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार होना चाहिए। जीवन के हर पहलू के बारे में शिक्षा ग्रहण कर सकें और बच्चे उन्हें अपने जीवन में हमेशा याद रखें चाहे वे जीवन मे कितने भी बड़े इंसान क्यों ना बन जाए। मेरी नजर में आदर्श शिक्षक तो वही होगा। 

कई बार बचपन में बच्चों को कोई सवाल समझ में नहीं आता तो शिक्षक या उन्हें घर में पढ़ाने वाला कोई ट्यूटर भी यदि पिटाई करके सिखाए तो सीखने की बात तो दूर, बिचारे छोटे बच्चों को यह भी पता नहीं होता कि उनकी पिटाई किस लिए हो रही है।

मेरे जीवन का अनुभव है कि मुझे किसी भी शिक्षक के द्वारा डांट फटकार से कुछ समझ नहीं आया, समझ तभी आया जब उन्होंने ठीक से पढ़ाया और किसी चीज को जितनी बार पूछा तो अच्छे से बताया।

यदि कोई बच्चा पढ़ाई में थोड़ा कमजोर है या लापरवाही करता है तो, मुझे लगता है कि थोड़ी बहुत सख्ती तो जरूरी है, लेकिन बच्चों को पिटाई से कुछ समझ नहीं आता, ज्यादा पिटाई से या तो वे ढीठ हो जाते हैं, और मार खाने के आदी हो जाते हैं।

मेरे जीवन के अनुभवों से मुझे लगता है कि, शिक्षक का व्यवहार दोस्ताना, सौम्य, और मधुर होना चाहिए। बच्चा यदि बहुत लापरवाही करें तो थोड़ी सख्ती भी जरूरी है।

मुझे उम्मीद है कि मेरे जीवन के अनुभवों पर मेरा यह लेख आपको पसंद आया होगा।


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