श्री हेमकुंड साहिब यात्रा (Hemkund Lake) की जानकारी और इतिहास के बारे में जाने !

by Pooja A
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hemkund lake

श्री हेमकुंड साहिब उत्तराखंड राज्य में स्थित समुद्र तल से लगभग 4632 मीटर (15197 फूट) की ऊंचाई पर स्थित है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा को भारत के सबसे पवित्र और सबसे कठिन गुरुद्वारों में से एक माना जाता है। इस जगह का उल्लेख सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दशम ग्रंथ में आता है।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा कहां स्थित है ?

श्री हेमकुंड साहिब पर्यटन स्थल हिमालय पर्वत के बीचो-बीच उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। हर साल हजारों सिखों द्वारा इस पूजनीय पवित्र तीर्थ स्थल का दौरा किया जाता है। हेमकुंड साहिब का शाब्दिक अर्थ “लेक ऑफ स्नो” हैं और यह दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा हैं जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 4633 मीटर है। हेमकुंड साहिब पर्यटन स्थल बर्फ से ढके पहाड़ों पर स्थित है। श्री हेमकुंड साहिब गुरद्वारे को श्री हेमकुंट साहिब के नाम से भी जाना जाता है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के नजदीक कई झरने, हिमालय का मनोरम दृश्य और घने जंगल हैं, जो ट्रेकिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा वह स्थान जो श्री गुरु गोविन्द सिंह जी की आत्मकथा से सम्बंधित हैं और बर्फ से ढंकी सात पहाड़ियों के लिए जाना गया हैं।

हेमकुंड साहिब का इतिहास – Hemkund Sahib History

हेमकुंड साहिब के इतिहास का पता सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह की आत्मकथा से चलता हैं। उनकी आत्मकथा में यह स्थल लगभग दो शताब्दियों से अस्पष्ट और अछूता बताया गया है। यहाँ के स्थानीय निवासी इस झील के प्रति आस्था रखते थे। संतोख सिंह (1787-1843) जो एक सिख इतिहासकार और कवि थे। उन्होंने अपनी शानदार कल्पना के साथ दुश दामन की कहानी का वर्णन किया है। जिसका अर्थ “दुष्टों का वशीकरण” होता हैं। यह भी माना जाता हैं कि इस स्थान पर गुरु गोविन्द सिंह ने ध्यान किया था। सिख समुदाय के सामूहिक प्रयास से यहाँ एक भव्य गुरुद्वारा बनाया गया था, जिसे वर्तमान में हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता हैं।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा की संरचना – Hemkund Sahib Architecture

हेमकुंड साहिब सफेद संगमरमर से निर्मित एक भव्य सितारा की तरह प्रतीत होने वाली संरचना है और यह एक सुंदर झील के किनारे पर स्थित है। हेमकुंड साहिब की संरचना के पीछे एक जल निकाय लक्ष्मण गंगा का खूबसूरत स्रोत है और इतनी अधिक ऊंचाई पर निर्मित होने वाला यह एक मात्र गुरुद्वारा हैं। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सबसे पहला प्रोटोकॉल स्टील से दिल्ली में बनाया गया था। यहाँ गिरने वाली बर्फ को अच्छे से सँभालने के लिए छत को जंगलों और गर्तों के साथ डिजाइन किया गया था। महिलाओं के स्नान की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हेमकुंड झील को गुरुद्वारे के भूतल की ओर मोड़ दिया गया था और पुरुषो को खुली झील में स्नान करने के लिए स्वतंत्रता थी। हेमकुंड गुरुद्वारा में प्रवेश करने पर सबसे पहले हाल में पहुंचा जाता हैं जिसे खूबसूरत ढंग से रौशनी और अन्य रंगोलियों से सजाया गया हैं। सिख धर्म के गुरुओं के चित्र दीवार पर सजाए गए हैं और गुरूद्वारे के चारो कोनो पर चार दरवाजे बने हुए हैं। पास में ही एक लंगर हाल हैं जहां तीर्थ यार्त्रियों को भोजन की उत्तम व्यवस्था की जाती हैं।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा खुलने और बंद होने का समय –

श्री हेमकुंड साहिब यात्रा मई से अक्टूबर के दौरान कुछ महीने के बीच ही की जा सकती है, इसके बाद श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा यात्रा बंद कर दी जाती है।

हेमकुंड साहिब को 25 मई 2021 (मई से अक्टूबर) को पर्यटकों के लिए खोला गया हैं। उत्तराखंड स्थित हेमकुंड साहिब को खोलने का निर्णय समिति की घोषणा के अनुसार लिया जाता हैं।

हेमकुंड साहिब यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए बिलकुल फ्री हैं। हेमकुंड साहिब घूमने पर पर्यटकों को किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क अदा नही करना पड़ता हैं।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा कैसे पहुंचे ?

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा का सबसे नजदीकी एअरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट, रेलवे स्टेशन हरिद्वार और बस स्टैंड हरिद्वार और ऋषिकेश में है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा जाने के लिए उत्तराखंड के इन तीनों शहरों में से एक भी एक शहर से बस पकड़ कर सबसे पहले जोशीमठ जाना होगा। जोशीमठ से आपको जीप या टैक्सी द्वारा गोविन्द घाट जाना होगा और गोविन्द घाट से श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा जाने के लिए लगभग 18 किमी. की ट्रेक करनी पड़ेगी।



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