हाट कालिका मंदिर, गंगोलीहाट

by Popcorn Trip
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इस लेख में गंगोलीहाट हाट कालिका मंदिर से जुड़ी सम्पूर्ण और रोचक जानकारियाँ, 

माँ कालिका मंदिर, घिरा है खूबसूरत देवदार के वृक्षों से। इस सुविख्यात मंदिर में स्थानीय लोगो के अलावा दूर- दूर से श्रद्धालु माँ काली के दर्शन को आते हैं, और मनोकामनाओं की सिद्धि के साथ साथ यहाँ आध्यात्मिक शांति पाते हैं।

माँ हाट कालिका मंदिर-, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले मे, जिला मुख्यालय से 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, गंगोलीहाट नाम के खूबसूरत पहाड़ी कस्बे मे हैं।

मंदिर पर बनायीं डाक्यूमेंट्री के लिए देखे यह वीडियो।

इस स्थान का नाम गंगोलीहाट पड़ने का कारण और यहाँ का संक्षित इतिहास निम्न प्रकार है। 

दो नदियों – सरयू गंगा व राम गंगा के मध्य होने के कारण इस क्षेत्र को बहुत पहले गंगावली कहा जाता था, जो समय के साथ धीरे धीरे बदलकर गंगोली हो गया। तेरहवीं शताब्दी से पहले इस क्षेत्र में कत्यूरी राजवंश का शासन था। गंगोलीहाट इस गंगोली क्षेत्र का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, बाज़ार को जिसे स्थानीय बोली मे हाट कहते हैं। गंगोली के साथ साथ हाट –  जुड़कर इस क्षेत्र को नाम मिला  गंगोलीहाट। 

तेरहवीं शताब्दी के बाद यहाँ मनकोटी राजाओं का शासन रहा, जिनकी राजधानी मनकोट में थी। सोलहवीं शताब्दी में कुमाऊँ के राजा बालो कल्याण चन्द ने मनकोट पर आक्रमण कर गंगोली क्षेत्र पर अधिकार कर लिया।

गंगोलीहाट का मुख्य आकर्षण माँ काली को समर्पित और पूरे उत्तराखंड और देश में प्रसिद्ध माँ हाट कालिका का मंदिर है।

हजारों वर्ष पूर्व आदि गुरू शंकराचार्य बद्रीनाथ, केदारनाथ होते हुए, यहां पर आए तो उन्हें आभास हुआ कि यहां पर कोई शक्ति है, यहाँ मां ने कन्या के रूप में दर्शन दिया और कहा की उन्हे ज्वाला रूप से शांत रूप में ले आओ, तब इस जगह माँ हाट कालिका – शक्तिपीठ की स्थापना आदि गुरु शंकरायचार्य जी के द्वारा हुई।

मंदिर के लिए मुख्य बाजार से एक अलग से रोड ढलान की ओर जाती हैं, जिसके द्वारा आप लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तय कर के मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुँच सकते हैं। प्रवेश द्वार के पास ही वाहनो के लिए पार्किंग और प्रसाद सामग्री उपलब्ध कराती कुछ दुकानें स्थित हैं। 

यहाँ से कुछ सीढ़िया उतर मंदिर तक पहुंचा जा सकता हैं। पैदल मार्ग का एक बड़ा में टिन की चादरों से कवर्ड हैं और हाट कालिका मंदिर घिरा है, देवदार के छायादार और घने वृक्षों से। 

यह माना जाता है कि कोलकाता में माँ काली मंदिर मे विराजित महाकाली का ही शक्ति रूप  गंगोलिहाट मैं  हाट कालिका मंदिर में विद्यमान है, गंगोलीहाट में स्थित हाट कालिका का मंदिर पुरे भारत के साथ-साथ भारतीय सेना बलों के बीच में भी प्रसिद्ध है। मंदिर के मुख्य पुजारी, रावल परिवार से हैं।

भारतीय सेना के कुमाऊं रेजीमेंट के हाट कालिका से जुड़ाव के बारे में एक दिलचस्प कहानी है। “द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के समय एक बार भारतीय सेना का जहाज डूबने लगा। तब सैन्य अधिकारियों ने जवानों से अपने-अपने ईश्वर को याद करने का कहा, कुमाऊं के सैनिकों ने जैसे ही हाट काली का जयकारा लगाया वैसे ही जहाज किनारे आ गया।” तभी से कुमाऊं रेजीमेंट ने मां काली को आराध्य देवी के रूप मे मानता हैं।जब भी कुमाऊं रेजीमेंट के जवान युद्ध के लिए जाते हैं तो काली मां के दर्शन के बिना नहीं जाते हैं। हर वर्ष माघ माह में यहां पर सैनिकों और अधिकारी बड़ी संख्या मे दर्शन के लिए आते हैं, यहाँ बने कई धर्मशाले, मंदिर और रास्ते के  निर्माण मे स्थानीय लोगों, श्रीडालुओं के साथ भारतीय सेना से जुड़े लोगो का भी योगदान हैं। 

गंगोलिहाट से करीब 24 किलोमीटर दूर विश्व विख्यात पाताल भुवनेश्वर गुफा हैं, यहाँ कुछ अन्य गुफाये भी देखी जा सकती हैं – जिनमे हैं – शैलेश्वर गुफा “मुक्तेश्वर गुफा” भी प्रसिद्ध हैं और कुछ समय पूर्व जानकारी मे आई  गुफा – भोलेश्वर गुफा। 

 गंगोलीहाट के समीपवर्ती  दर्शनीय स्थलों मे चौकोडी, पिथौरागढ़, बेरीनाग, धौलछीना, जागेश्वर आदि हैं। 

गंगोलीहाट से नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर 162 किलोमीटर और काठगोदाम रेलवे 190 किलोमीटर हैं। नजदीकी नैनी सैनी एयरपोर्ट पिथौरागढ़ 84 किलोमीटर और पंतनगर हवाई अड्डा 223 किलोमीटर हैं। 

दिल्ली, देहारादून, लखनऊ और दूसरे बड़े शहरो से फिलहाल को सीधी बस सर्विस नहीं हैं,  यहाँ से गंगोलीहाट आने के लिए पहले हल्द्वानी पहुचना होगा, से 197 किलोमीटर दूर हैं, पहाड़ी मार्ग होने के कारण इस दूरी को तय करने मे 6 से 7 घंटे लगते हैं।

हल्द्वानी से Roadways की एक बस शेराघाट, गंगोलीहाट होते हुए पिथौरागढ़ तक जाती हैं। हल्द्वानी से गंगोलीहाट के लिए कुछ प्राइवेट बस सर्विस और shared टैक्सी भी मिल जाती हैं।

गंगोलीहाट की बाज़ार बहुत बड़ी नहीं हैं, यहाँ थोड़ी सी दूरी मे ही बस स्टॉप, टॅक्सी स्टैंड हैं के साथ सभी जरूरी वस्तुएँ उपलब्ध कराती दुकानें उपलब्ध हैं। रात्री विश्राम के लिए KMVN के टुरिस्ट रेस्ट हाउस (TRH) सहित, कुछ होटेल्स, lodges भी हैं।

इस स्थान को महसूस करने के लिए आप ये विडियो भी देख सकते हैं। ?


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