बचपन की मार और जुए की हार का असर देर तक रहता है

by Atul A
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कहते है कि, बचपन की मार और जुए की हार का असर गहरा और देर तक रहता है?
उम्र के एक खास मोड़ पर पहुँच, मित्रों, परिचितों और रिश्तेदारों से मुलाकात होने पर पूछे जाने वाले कुछ चुनिन्दा सवालो में एक (और मुख्य भी) सवाल यही होता है कि, “शादी कब कर रहा?”, और मेरी प्रतिक्रिया अक्सर मेरी मुस्कराहट होती है। ?
अच्छा, स्कूली दिनों में अक्सर छुट्टी से पहले ही मैं स्कूल से भाग लेता था, वो भी बिना पीछे मुड़े। ऐसे ही एक बार स्कूल गोल करके (तीसरेे पीरियड बाद), खेल मैदान के नीचे, शर्त में कुछ पैसा रख, जुआ (दहल पकड़) खेलते मेरे को वही धर लिया मासाब ने, और पकड़ कर सूत दिया, क्लास के सामने बेइज्जत अलग किया, उस पर तुर्रा ये कि, पता नहीं कैसे घर पर इसकी खबर लग गयी और फिर घर वालों ने भी तबियत से कूट दिया था। ?
पता नहीं उप्पर लिखी घटनाओं/बातों में कोई resemblance है या नहीं! पता तो ये भी नहीं कि चोट किस से लगी – पैसों के जाने से, मार से, इज्जत की छीछालेदर होने से या फिर जिस मित्र(!) ने घर पर बताया उसकी दुश्मनी से! ?
(Note – अच्छा अब तीसरा और चौथा पैराग्राफ फिर से पढे, तो दूसरे पैराग्राफ में लिखी बातों से कुछ संबंध/ relevancy निकल ही आएगी।) ?

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