बालेश्वर मंदिर “भगवान शिव” को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है , जो कि उत्तराखंड के चंपावत शहर में स्थित है | बालेश्वर मंदिर पत्थर की नक्काशी का एक अद्भुत प्रतीक है | मुख्य बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है (जिन्हें बालेश्वर भी कहा जाता था)

बालेश्वर के परिसर में दो अन्य मंदिर भी उपस्थित हैं जिसमे एक “रत्नेश्वर” को समर्पित है और दूसरा मंदिर “चम्पावती दुर्गा” को समर्पित है | इस मंदिर समूह में आधा दर्जन से ज्यादा शिवलिंग स्थापित हैं ।

मुख्य शिवलिंग स्फुटिक का है । जो अपनी चमत्कारिक शक्ति के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है । स्थापत्य कला के बेजोड रूप से बने इस मंदिर के समूह की दीवारों में अगल-अलग मानवों की मुद्राएं , देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियां बनाई गई हैं

चंद शासकों ने 13वीं सदी में बालेश्वर मंदिर की स्थापना की थी । मंदिर पर मौजूद शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 1272 में बना है| यह चंपावत जिले का एक खूबसूरत तीर्थस्थान है । दरअसल यह मंदिरों का समूह है, जिसका निर्माण चंद वंश ने करवाया था ।

 इस मंदिर का निर्माण 10 वीं या 12 वीं शताब्दी के मध्य काल में हुआ था | जिस कारीगर ने इस मंदिर में अपनी कला को जिंदा किया था , उसका नाम जगन्नाथ मिस्त्री था , यह कहा जाता है कि जब जगन्नाथ मिस्त्री ने मंदिर बना दिया था , तब चंद शासक जगन्नाथ मिस्त्री से काफी प्रसन्न हुए

चंद शासकों को लगा कि जगन्नाथ मिस्त्री अपनी कला का प्रचार-प्रसार कहीं किसी और जगह ना कर दे इसलिए चंद्र शासकों ने जगन्नाथ मिस्त्री का एक हाथ कटवा दिया | तब जगन्नाथ मिस्त्री जो कि एक कुशल कारीगर था |

बालेश्वर मंदिर अपनी खूबसूरती के साथ अलग पहचान बनाए हुए हैं और मंदिर कि खूबसूरती लोगों को अपनी ओर खींचती है और सोचने को मजबूर कर देती है | मंदिर के हर हिस्से में एक अनेक प्रकार की कलाकृति देखने को मिलती है |

चंपावत में बालेश्वर मंदिर को “राष्ट्रीय विरासत स्मारक” घोषित किया गया है और 1 9 52 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है । 

बालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भक्तो का सैलाब उमडा होता है |